Saturday 15 June 2019

उत्तर-दक्खिन

एक अति प्रसिद्ध ग़ज़ल की कुछ पङ्क्तियाँ....!

बच्चों के सूने हाथों में चाँद सितारे रहने दो
दो चार किताबें पढ़ कर ही ये हम जैसे हो जाएँगे!

अधिक पढ़ लिख कर क्या हो जब कही गई किसी बात को समझने की चेष्टा ही न की जाए? कुछ किताबी ज्ञानियों को ढूँढ सकें तो ढूंढिए, सुना है..हिन्दुत्व की चूलें हिलाने वाले आपके भी आसपास ही हैं।

क्या कहा? जानते हैं? तो ये तो और भी अच्छी बात है।

आइए एक कहानी सुनाता हूँ... सत्य भी है, मिथ्या भी! सार ग्रहण करें...थोथा उड़ा दें, कैसी चिन्ता।

सुबह सवेरे घर से निकला। यूँ ही टहलते टहलते पुल के उस पार तक जा पहुंचा। देखता हूँ, मजमा आज भी लगा हुआ है।

वह एक मदारी था। जैसा कि प्राय: मदारियों की वेशभूषा हुआ करती है वह भी वैसा ही था। साँप की पिटारी, बीन, बाँसुरी, डमरू, स्टील की थालियाँ, लोहे के रिंग, बड़ा सा झोला आदि आदि।

वह रोज उस चौक पर मजमा लगाता। जब सुबह सात की ट्रेन स्टेशन पहुँचती, उसके मजमे की भीड़ बेतहाशा बढ़ जाती। न जाने कहां-कहां से लोग उस सात बजे की ट्रेन से उतरते। उतरने वालों में से कुछ कहीं जाते, कुछ कहीं। फिर भी उसके मजमे तक सौ सवा सौ लोग पहुँच ही जाते।

साँप के नाचने से प्रारम्भ होकर मजमा आगे बढ़ने लगता। बीन बजाता वह जोर जोर से तालियाँ बजाने हेतु भीड़ से आवाहन करता जाता। भीड़ को मजा आए और तालियाँ न बजे, ऐसा कब होता है। सो भीड़ उसके आवाहन पर तालियों की गड़गड़ाहट देती और उन्हीं तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उसकी बीन से आवाज़ निकलनी बन्द हो जाती। ऐसा रोज होता मगर क्यों?

वह अपनी पूरी शक्ति से बीन में फूँक मारता। होठों से हटा उसे साफ करने का यत्न करता। उपस्थित भीड़ की ओर नजरें फिराता, फिर फूँक मारता। किन्तु बीन नहीं बजती तो नहीं बजती। उसकी आँखें उदास हो जातीं। भीड़ से शान्ति की अपील करता वह अचानक चैतन्य हो होठों होठों में कुछ बुदबुदाने लगता। फिर अचानक से खूँखार आवाज में चीखता...कौन है? सामने आओ! इस तरह पीठ पीछे वार करता है? एक बाप का है तो सामने आ! विद्या का दुरुपयोग गरीब के पेट पर लात मारने के लिए करता है? मर्द की तरह सामने आ। उल्टा हवा में न लटका दिया तो मजमा लगाना छोड़ दूँगा। खाया पिया सब बाहर कर कपड़ों में आग लगा दूँगा। तू सामने तो आ!

और फिर भीड़ सन्न रह जाती! वो समझ न पाती कि ये सब क्या है। अच्छा भला तो खेल चल रहा था, अचानक हो क्या गया? भीड की फुसफुसाहटें प्रारम्भ होतीं और फिर भीड़ को धकियाता एक व्यक्ति अचानक सामने आता और .........!

(क्रमशः)

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