Saturday 15 June 2019

मिलन...दो वस्ताजों का!

आज वस्ताज चक्कू रामपुरी 'अहिंसक' से वस्ताज बोटी-बोटी गोरखपुरी 'शाकाहारी' की मूक्कालात भै गयी!
कसम टिप्पणी करने वालों की....जो मैफिल जमी की 'अदा' उमराव जान डुमराँव तक पेदल पेदल ही निकल गीं।

इस अजीमोश्शान राब्ते का 'कुफ्त' आपो उठाएँ...जीवन में परेशानी ही परेशानी होगी...हिंसाअल्ला...कमीन!

पहली जुबां वस्ताज चक्कू रामपुरी'अहिंसक' की है...जिसका जवाबी क़ाफिया व मतला वस्ताज बोटी-बोटी गोरखपुरी 'शाकाहारी' की 'पेचिशशुदा' तकरीरों में वर्ल्ड लेवल पै नुमायाँ होते हुए भी 'डी डी डायरेक्ट प्लस' पर तक ब्लैकलिस्टेड भै गयी थीं!

छड़ो जनाबे आली...आप तो पिलीज... अपना तवा गरमाएँ...फुसफुसानल्ला!

मतला और शेर दोनो वस्ताजों की औकातानुसार एडजस्ट करते जाएँ...सवारी अपनी डंडा डोली की जिम्मेवार पड़ोसी को डाल दे....लौ* से...की फरक पैंदा!

अच्छा...कर्ज लिया था कि...!

हम थे जिनके सहारे
उन्ने जूते उतारे...
और सर पे दे मारे
क्या करें हम बिचारे
हम थे जिनके सहारे...!
(वस्ताज चक्कू रामपुरी 'अहिंसक')

तुम थे जिनके सहारे
चूतिए थे वो सारे...
'सर' को मारा तो ज़ालिम
तुम्हें खिसकना तो था प्यारे!
तुम थे.....!
(वस्ताज बोटी-बोटी गोरखपुरी 'शाकाहारी' का जवाबी सियार!)

दर्द किससे कहें हम
दर्द कैसे सहें हम
दर्द में क्यों रहें हम
दर्द से कौन उबारे... !
(वस्ताज चक्कू रामपुरी'अहिंसक' की हिकमत)

दर्द तुमने कहा क्यूँ
दर्द तुमने सहा क्यूँ
दर्द में तुम रहे क्यूँ
जब 'डाईक्लोफिनेक' था प्यारे!
तुम थे जिनके....!
(वस्ताज बोटी-बोटी गोरखपुरी'शाकाहारी ' की ‌लल्लोचप्पो! )

हम थे जिनके सहारे...
उन्ने जूते उतारे...
और सर पे दे मारे
क्या करें हम बिचारे
हम थे जिनके सहारे...!
(वस्ताज चक्कू रामपुरी'अहिंसक' की दुबारा की गयी हिकमत)

तुम थे जिनके सहारे
चूतिए थे वो सारे...
'सर' को मारा तो बुरबक
खिसकना बेस्ट था प्यारे!
तुम थे.....!
( वस्ताज बोटी-बोटी गोरखपुरी 'शाकाहारी' का जवाबी सियार जलाल में )

अब लाइक कमेन्ट कर के क्या 'सेलिब्रिटी' बना द्योगे हमें?

(वस्ताज़ चक्कू रामपुरी 'अहिंसक' जी...हमायी भटकती आतमा की मुँहमाँगी छमा तुमाए चरणन में, बकस देना हमें.. गोदरेज का! )

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