Friday 3 January 2020

वो रेख़्ता में सब पर थूक फेंकता अजीमोश्शान शाइर...!

१:- )
"न आज लुत्फ कर इतना कि कल गुजर न सके!
वो रात जो कि तिरे गेसुओं की रात नहीं!!"

मने आज चाँपे रहे तुम अच्छी बात है, पर जब कल तुम्हारे शौहर आ जाएँगे तो हमारा गच्चीजन तो हो नहीं पाएगा! रात अकेली होगी, हम अकेले होंगे! तुम तो बाहों में रहोगे अपने साजन की! तो मियाँ....अपने हुजरे में बैठै ठाले इकल्ले मैं करुँगा क्या? लँड़चटई?

हाँ बे सितमगर जमाने...! चूरन तो हो तुम...!

हम अपना खुदा खुद बनाते पर क्या करें, हमारे 'वस्ल' को जमाना 'कचाने' जैसा कुछ समझता है!

२:-)
"हज़ार दर्द शब-ए-आरजू की राह में है,
कोई ठिकाना बताओ कि काफिला उतरे!
करीब और भी आओ कि शौक-ए-दीद मिटे,
शराब और पिलाओ कि कुछ नशा उतरे!!

मने हमारी इबादतें, मोहब्बतें सब तुमको ठरक़ ही दिक्खा करें है? रात भर कुड़कुड़ाती हैं हड्डियाँ मानों! एक कम्बख्त़ तो हड्डियाँ तुड़ा बैठा...हमसे दो चार लट्ठ भी न खाए जाएँगे भला? हमें उस सुर्ख चेहरे पर चमकती दो आँखों की कसम उस्ताज़....नाली में गिरें या कि मक़ाँ और कहीं हो....तुम चाटने दो शीशियाँ अङ्गूर के बागों की!

सचमुच तुम्हें शाइरी की समझ नहीं कम्बख्तों, तुम क्या समझो कि....

३:-)
जब्त का अहद भी है, शौक का पैमान भी है!
अहद ओ पैमाँ से गुजर जाने को जी चाहता है!!
दर्द इतना है कि हर रंग में है महश़र बरपा!
और सकूँ ऐसा कि मर जाने को जी चाहता है!!

अब रहन दे साकी....मीना बाजार बन्द कर अपना! तेल निकाल दिया बहन की लौ* ने! रैण दे इन्हे पोएट्री का पूँ बी नहीं पता! हम कराहें ना तो क्या कहें!!

हम देखेंगे!
अगला पिछला सब देखेंगे!
काला उजला सब देखेंगे!
जब पाएँगे तब देखेंगे!
हम देखेंगे, सब देखेंगे!
🙂

#फैज #थुख्तर #नूरजहाँ





No comments:

Post a Comment