Monday 24 December 2018

सुना है शहर नींद में है...!

न कहो कुछ ना सुनो, सीखा है!
हमने इतना सा सबक, सीखा है!!

बिटिया सुबह सुबह सोकर उठी तो आँखे मसलती पूछने लगी, डैडी...सेंटा क्लॉज मेरा गिफ्ट लेके नहीं आए?

किन्तु मैं निरुत्तर नहीं था!

बिटिया को गोद में उठाया, प्रेम से उसके बालों में उंगलियां फेरीं और कहा... मैंने आपको कल बताया था न! सेंटा क्लॉज कुछ नहीं होता... बच्चे लोग को सारे गिफ्ट्स तो डैडी लोग दिलाते हैं न! सेन्टा के नाम पे बच्चे लोग को तो बस उल्लू बनाया जाता है? आप उल्लू हैं क्या? नहीं न! तो फटाफट रेडी हो जाइए, अभी तो हम लोग को मन्दिर भी जाना है न...देवा श्री गणेशा करने!
उसके बाद हम लोग घूमने भी तो जाएंगे!

चहकते हुए उसने मेरी बात दुहराई...हाँ डैडी, हम लोग जब देवा श्री गणेशा करने जाते हैं तो आप मुझे लड्डू भी तो दिलाते हैं, फिर घुमाने भी ले जाते हैं, झूला भी कराते हैं, पिंक वाला फ्रॉक भी दिलाते हैं...डैडी मेरे सबसे अच्छे होते हैं...मेरे प्यारे डैडी! कहते कहते उसने मेरे गले में अपनी नन्हीं नन्हीं बाहें डाल दीं और गर्दन टेढ़ी किए मुझे देखने लगी।

मैंने उसे फिर से दुलराया और कहा...जरूर लें के चलूंगा... मैं भी तैयार हो जाऊं आप भी हो जाइए... फिर हम घूमने चलेंगे...ओके!

अब वह सुबह से अपनी माँ के पीछे पड़ी है...मम्मी मुझे तैयार कर दो, मुझे डैडी के साथ मन्दिर जाना है..फिर घूमने भी जाना है...और मार्केट भी जाना है... जल्दी करो ना...!

और मैं यहाँ रजाई में मुंह डाल पोस्ट लिखने लगा हूँ...आज, अटल जयन्ती पर!

राम जी भली करें सेंटा क्लॉज का...हर हर महादेव!





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