Friday 24 May 2019

चुनाव पश्चात् रवीश २.०

जात कुमार पाण्डेय जी...!

सही अर्थों में हार तो आप तभी गए थे जब आप जनमत को ट्रोल, अन्धभक्त आदि कह कर उपहास किए जा रहे थे। अपने लेखों व विचारों का सम्यक् अवलोकन करेंगे तो आप पाएंगे कि कबीलाई मुसलमानों व वामपन्थी गीदड़ों के झुण्ड को आप भारतवर्ष की जनता समझ रहे थे। जिस पत्रकारिता की ओट ले आपने ३०० किलोमीटर का लेख लिखा है, उस पत्रकारिता को रसातल में पहुँचाने के स्पष्ट रूप से दोषी हैं आप!

निस्सन्देह आपके कुतर्कों की शृङ्खला से कुछ व्यक्तियों का भला हुआ जिसकी दुहाई आपने अपने लेख में दी है तो मैं यह कहूँगा कि आप उस व्यक्ति की भाँति हैं जिसने दस नए पौधे रोप कर पुराने १०० बाग कटवा दिए या मैं यहाँ जेबकतरों के उस झुण्ड की भी बात करूँगा जिनमें से एक सदस्य किसी व्यक्ति की जेब काट कर चला जाता है और झुण्ड के अन्य सदस्य उस व्यक्ति को दया भाव दिखाते हुए अपने ही साथी को गालियाँ दिए जाते हैं।

मैं भक्त हृदय हूँ, सनातनी भी...सो तटस्थ हो कह रहा हूँ कि आपने पत्रकारिता के सिरमौर होने की हनक में जो कुछ भी किया है उसका मूल्याङ्कन पीढ़ियाँ ही करेंगी। विगत् पाँच वर्ष का आपका अभिनय सबने देखा है व आगामी पाँच वर्षों तक भी देखेंगे ही।

स्वयँ को पीड़ित दिखा सहानुभूति बटोर लेने की पाण्डेय जी की यह चाल भी अच्छी लगी। अप्रासङ्गिक होते रवीश जी की प्रासङ्गिक बने रहने की इस जीवटता को भी नमन करो मितरों! इनके वाम को भी राम राखें!

🙏

No comments:

Post a Comment