Sunday 22 December 2019

छिनरी का स्वप्न...!

छिनरी गाँव में लोटा लेके
बाग बगईचा जाती है!
गली मुहल्ला, हिंसाहल्ला
वालों से ठुकवाती है!!

बाप से लड़ के एक दिन छिनरी
सीधा दिल्ली जाएगी!
चाहें फट के फ्लावर हो जा
गैंगबैंग करवाएगी!!

वामी कौमी नाला बापू
सदा पबित्तर होता है!
भाँज के मुट्ठी एक के बाजू
दस दस लौण्डा सोता है!!

दम्मादम सिगरेट चलेगी
दारू का कुल्ला होगा!
१८+ होने दो हमको
सब खुल्लमखुल्ला होगा!!

वहाँ मिलेंगे पाक तराने
जिनमें आजादी होगी!
देने से जो मना करूँगी
तब नऽ बर्बादी होगी!!

कितना चकचक आलम होगा
पीर मिटेगी बरसों की!
ल्युब्रिकेन्ट होगा बिलायती
शीशी फेंको सरसों की!!

फैजू के नारे से सारी
दिल्ली धक-धक गूँजेगी!
गली गली से भीड़ निकलकर
बसें, दुकानें फूँकेगी!!

शाम हुई यह छिनरी टप-टप
लाल गुलाब मँगाएगी!
जहाँ कैमरा पाएगी
बस वहीं काण्ड करवाएगी!!

बापू अपना डण्डा दे दो
जन्तर मन्तर जाऊँगी!
सोनिया जी से बात हुई है
मोदिया को गरियाऊँगी!!

अब्दुल मेरा लभर बॉय है
पन्चर साटा करता है!
मिलती हूँ जब भी उससे
वो टेडी बाँटा करता है!!

उसके अब्बा इसी मार्च में
हुज्जत* करके आए हैं!
बात हुई है बाद कोहर्रम
पासपोर्ट बनवाएँगे!!

सुन लो बापू कान खोल के
हम सलमा बन जाएँगे!
टीपू की फुफ्फू हैं माना
तब अम्मी कहलाएँगे!!

तुम हो ढोर गँवार उमर भर
यूँ ही कुढ़ते कलपोगे!
हम कूटेंगे बिरयानी तुम
नून तेल को तरसोगे!!

(अपूर्ण)